5 Essential Elements For Shodashi
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कस्तूरीपङ्कभास्वद्गलचलदमलस्थूलमुक्तावलीका
रागद्वेषादिहन्त्रीं रविशशिनयनां राज्यदानप्रवीणाम् ।
देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari ashtottarshatnam
The apply of Shodashi Sadhana is a journey in direction of both satisfaction and moksha, reflecting the dual nature of her blessings.
चतुराज्ञाकोशभूतां नौमि श्रीत्रिपुरामहम् ॥१२॥
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
Shodashi Goddess is among the dasa Mahavidyas – the ten goddesses of knowledge. Her title means that she will be the goddess who is always 16 decades aged. Origin of Goddess Shodashi happens click here after Shiva burning Kamdev into ashes for disturbing his meditation.
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी पञ्चरत्न स्तोत्रं ॥
कामेश्यादिभिराज्ञयैव ललिता-देव्याः समुद्भासितं
चक्रे बाह्य-दशारके विलसितं देव्या पूर-श्र्याख्यया
The worship of Tripura Sundari is really a journey toward self-realization, wherever her divine natural beauty serves to be a beacon, guiding devotees to the final word real truth.
ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं तां वन्दे सिद्धमातृकाम् ॥५॥
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१०॥